✍️किसी रूठे यार के लिए…
किस दर्द को तन्हा दबाये बैठा है यार मेरे
वो कौनसा गम जो दिल पर है सवार तेरे
बस दो पल का ये कैसा याराना जताया तूने
गहरे अल्फाज़ो से जुड़े गए थे तुझसे तार मेरे
क्या बताये बेवजह तू यूँही क्यूँ रूठ के बैठा है
अब बर्दाश्त नहीं होते ख़ामोशी के ये वार तेरे
लिखे है सीने के जज़्बात लफ्ज़ो में समझ लेना
कुछ तो उदासी का सबब होगा ऐ दिलदार मेरे
बड़ी हसरतों से जुड़ते है दोस्ती यारी के रिश्ते
तुझसे निभाया ना गया हो ये नसीब का फेर तेरे
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©✍️’अशांत’ शेखर
29/10/2022