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3 Aug 2022 · 1 min read

✍️मैं अपनी रूह के अंदर गया✍️

✍️मै अपनी रूह के अंदर गया✍️
………………………………………………..//
जब चुपके से मैं अपनी रूह के अंदर गया
समझ न पाया जिंदा था या फिर मर गया

एक आईना ही है कभी झूठ बोलता नहीं
देखके नक़्श मेरा वो भी जाने क्यूँ डर गया

दिल में ना कोई ख़ुलूस ना कोई तिश्नगी थी
मैं तलाश में हूँ के ये सफर कहाँ ठहर गया

अपनी नींदे लूटाकर उनको ख़्वाब देते रहा
मैं सोयी रातों में खाली हाथ तन्हा घर गया

बड़ा दुश्वार है ख़्वाबो को हकीकत में जीना
पूरा करने की चाहत में मैं हद से गुजर गया

आस्तीन में साँपो को पालना कुसूर था मेरा
अपने बदन में उनका सारा जहर उतर गया

मैं हैरान था जश्न के साथ मातम भी बैठा था
मैक़दे से हँसी के जाम में आँसू झूमकर गया
…………………………………………………….//
©✍️’अशांत’ शेखर✍️
16/06/2022

3 Likes · 8 Comments · 231 Views
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