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9 Jul 2020 · 1 min read

~~◆◆{{{{◆◆कौन बचाये◆◆}}}}◆◆~~

हाहाकार मची है रिश्वतखोरी की,भूख नही मरती फिर भी सरकारी पट्ठों की चोरी की.

लाला जी की कंजूसी के क्या कहने,पैसा खा खा के हालत खराब होगयी सेठ की तिजोरी की।

पड़ा गरीब सड़क पर तड़पता मर जाता,पाई नही चुकाई जाती जिस से एक दवा की गोली की।

बेबस बेसहारा औरत का नही कोई सहारा,कीमत लगती सरेबाज़ार जिसके आँचल की चोली की।

मासूम बच्चे कमाते कमाई यहाँ बचपन बेचकर,बेरंग रह जाती जिनकी पिचकारी होली की।

नेताओं की शान में तलवे चाट ते,सब बने हिजड़े,क्या कहें बात अमन,सारी अफसरशाही टोली की।

नफरत लिए मजहब की लड़ते फिरते शुद्ध देशवासी,कौन बचाये मेरे हिंदुस्तान को,काटते काटते एक दूसरे को मर रहे सारे,जंग लगी है जात,धर्म,और अलग अलग बोली की।

Language: Hindi
10 Likes · 6 Comments · 283 Views
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