नाम कमाले ये जिनगी म, संग नई जावय धन दौलत बेटी बेटा नारी।
हम मुहब्बत कर रहे थे........
*मैया की शेर की सवारी हुई (भजन/हिंदी गजल)*
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
ज्यादा अच्छा होना भी गुनाह है
लाख बुरा सही मगर कुछ तो अच्छा हैं ।
मैं अंधियारों से क्यों डरूँ, उम्मीद का तारा जो मुस्कुराता है
तुम रात को रात और सुबह को सुबह कहते हो
हमें क्या पता मौत को गले लगाने जा रहे थे....😥😥😥
भारत की गौरवभूमि में जन्म लिया है
भ्रमण
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
ग़ज़ल _ मुहब्बत में मुहब्बत से ,मुहब्बत बात क्या करती,