सर्दी के हैं ये कुछ महीने
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
जय जय नंदलाल की ..जय जय लड्डू गोपाल की"
आज हालत है कैसी ये संसार की।
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
बाल नहीं खुले तो जुल्फ कह गयी।
पल पल रंग बदलती है दुनिया
*जो कुछ तुमने दिया प्रभो, सौ-सौ आभार तुम्हारा(भक्ति-गीत)*
वो तेरा है ना तेरा था (सत्य की खोज)
माता पिता नर नहीं नारायण हैं ? ❤️🙏🙏
याद करेगा कौन फिर, मर जाने के बाद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
हिंदी दोहा शब्द- घटना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ ना करना , कुछ करने से बहुत महंगा हैं
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
23/180.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*