■ आज का दोहा-
■ अभिव्यक्ति_की_आज़ादी
“भाड़ सरीखा मुंह खोलो।
जो मन में आए बोलो।।”
आख़िर पता तो चले दुनिया को कि कितने खानदानी, सभ्य और संस्कारित हो।
【प्रणय प्रभात】
■ अभिव्यक्ति_की_आज़ादी
“भाड़ सरीखा मुंह खोलो।
जो मन में आए बोलो।।”
आख़िर पता तो चले दुनिया को कि कितने खानदानी, सभ्य और संस्कारित हो।
【प्रणय प्रभात】