३.भगत
कितने वादे किये थे तुम सब ने,
बलिदान हमारा व्यर्थ न जायेगा
स्वतंत्र भारत के आंगन में सब को
एक समान ही हक मिल जायेगा
सारे के सारे वादे झूठे निकले,
बस जन्म दिन और मरण दिन पे
अब हम सब को याद किया जायेगा
शर्म करो अब तुम सब भी धूर्तों में हो
तुम से फिर क्रांति न लायाजाएगा
जन्म दिन पे हमारे तुमसे अब बस
कागज के फूल ही खिलाया जायेगा
इस दहर में क्या अब फिर कभी क्रांति बीज
तुम सब में से किसी से न बोया जायेगा…???
…सिद्धार्थ