दौलत -दौलत ना करें (प्यासा के कुंडलियां)
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रामायण में हनुमान जी को संजीवनी बुटी लाते देख
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
"You can still be the person you want to be, my love. Mistak
*नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)*
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,