।। मेघ ।।
काले काले बादल आते
मन हर्षित कर जाते हैं
वर्षा की बूंदो को लेकर
हरा भरा कर जाते हैं ।।1।।
बच्चे जल में उछल कूद कर
एक दूजे की आख मूंद कर
कीचड़ बदन लगाते हैं
जल में खूब नहाते है ।।2।।
पानी भरा गड्ढों में उपर तक
जमा हुआ खेत खलिहानों तक
बच्चे छलाँग लगाते हैं
जल में खूब नहाते है ।।3।।
रिमझिम रिमझिम मेघ बरसते
रेगिस्तान में लोग तरसते
पवने झकोर लगाती हैं
विरहन नजरें झुकाती है ।।4।।
उद्यानों में पुष्प है खिलते
जब झर झर है मेघ बरसते
सावन की काली घटा में
विरहन के है मन तरसते ।।5।।
विरहन नाचै सोचकर मन में
आग लगी है उसके तन में
पिय उसका परदेश में रहता
विरह व्यथा किससे कहता ।।6।।
रचनाकार
संजय कुमार *स्नेही *
आजमगढ़ उत्तर प्रदेश सम्पर्क सूत्र 9984696598
ईमेल skumar276201@gmail.com