।।संघर्ष।।
ख्वाबों में जैसे कोई आवाज दे रहा है,
कहता है यदि गिरो तो उठना ना भूलना तुम।
उठ कर के फिर संभल के चलना ना भूलना तुम,
संघर्ष ही है जीवन यदि मान कर चलोगे,
आगे को तुम बढ़ोगे पीछे को ना रुकोगे।
हर मुश्किलों को हंस कर के टाल दोगे यदि तुम,
जीवन को एक खेल का अंजाम दोगे यदि तुम,
बढ़ जाओगे तुम आगे कोई ना छू सकेगा,
हर कोई बाद में फिर तुमको नमन करेगा।
दे जाओगे सबक तुम हर एक के जहन में,
आदर्श मान लेंगे तुमको ही लोग मन में,
तब ही तो जा के जीवन तेरा सफल रहेगा,
हर एक आदमी को शिक्षा तभी मिलेगा।
✍️ प्रियंक उपाध्याय