।।दुख और करुणा।।
कुछ मानव दानव बन कर इस धरती पर आते हैं।
छोटे छोटे बालक को वो ग्रास बनाते हैं।
नहीं धर्म उनके जीवन में,
दया नहीं है उनके मन में,
खूंखार जानवर सा प्राणी चेहरा मानव का पाते हैं।
देखो ग्रास बनाते हैं।
नन्ही सी वो हंसी कि जिससे जग खुश होता है।
नन्ही उसकी डगर चले तो जग यह चलता है।
हंसी पे जिसके तीनों लोक निछावर होते हैं।
उन बालक को ये दानव क्यूं ग्रास बनाते हैं।
आई होगी नहीं क्या उसके मन में दया भाव पल भर भी,
तड़प ना निकली होगी उसके हृदय के किसी कोने में भी।
कैसे उसने मारा होगा,
क्या मनुष्यता रोई ना होगी।
उसके आंसू उसकी तड़प से,
क्या धरती डोली ना होगी।
ऐसे पापी को इस जग में लाते क्यूं हो परमेश्वर तुम,
तेरे इस संसार में ऐसे दानव स्थान क्यूं पाते हैं।
वो क्यूं इस जग में आते हैं।
✍️ प्रियंक उपाध्याय