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1 Nov 2020 · 1 min read

फ़िल्म और हक़ीक़त

फ़िल्में हक़ीक़त
नहीं होतीं
और हक़ीक़त
फिल्मी नहीं होती।
फ़िल्मों में किरदारों का
अपना कुछ नहीं होता
सिवाय उनके होने के।
उधार के
वार्तालाप,
वेशभूषा,
घटनाएं,
और एक
सोंचीं
समझी अंत ।
जबकि
हक़ीक़त
होती है
अक्ल्पीत
और
अनंत।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
1 Like · 614 Views

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