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7 May 2018 · 1 min read

ज़िस्म गुरुर

रूह सख़्त मिज़ाज क्यूँ हूँ ।
ज़िस्म पेहरन लिवास क्यूँ हूँ ।
न रहेगा ज़िस्म तू साथ मेरे ,
तो ज़िस्म गुरुर आज क्यूँ हूँ ।
… विवेक दुबे”निश्चल”@..

Language: Hindi
195 Views
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