ज़िन्दगी को मोड़ दूँ
ज़िन्दगी को मोड़ दूँ
बंदिशें सब तोड़ दूँ
ये तो हो सकता नहीं
सोचना ही छोड़ दूँ
हाथ में मेरे नहीं
टूटे दिल को जोड़ दूँ
मत गँवा इसमें समय
किसको कैसे होड़ दूँ
‘अर्चना’अब क्या लिखूँ
मन को ही झंझोड़ दूँ
26-08-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद