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19 May 2024 · 1 min read

रुख़्सत

इस शहर की यादगारों को साथ ले चला हूँ ,
बीते हुए लम्हों का हिसाब साथ ले चला हूँ ,

रंजिशे, अदावतें छोड़,
प्यार साथ ले चला हूँ ,
सरगर्मी – ए – महफ़िल छोड़,
तन्हाई साथ ले चला हूँ ,

ज़ुल्मो सितम की दास्ताँ छोड़,
सुकून साथ ले चला हूँ ,
दर्दे बेवफ़ाई छोड़,
एहसान- ए -वफ़ा साथ ले चला हूँ ,

खुदगर्जी छोड़,
एहसास- ए- हमदर्दी साथ ले चला हूँ ,
फ़ितरत छोड़,
अख़लाक़ साथ ले चला हूँ ,

सोए हुए ज़मीर को जगा ,
इंसानियत साथ ले चला हूँ ।

Language: Hindi
30 Views
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