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16 Nov 2021 · 1 min read

ग़ज़ल

कोई नग़्मा दिया तूने ख़ुशी से उसको गाया है
सदा ही ज़िन्दगी हमने तेरा रिश्ता निभाया है

कभी रोते हुए ढूँढी ख़ुशी की भी वजह कोई
कभी हँसते हुए हमने उदासी को छुपाया है

घड़ी भर को अचानक से सुकूँ क्यूँ मिल गया मुझको
घड़ी भर ही सही लेकिन उसे कुछ याद आया है

बुलाये बिन ये आ बैठा पता किसने दिया ग़म को
किधर जाके मगर भटकी ख़ुशी को जब बुलाया है

कभी हँसते हुए देखो किसी को बेतहाशा तुम
समझ जाना कि दुनिया ने उसे कितना सताया है

न जाने के कहन था क्या, न जाने क्या कहा मैंने
छुपाया है न जाने क्या, न जाने क्या नुमाया है

सुरेखा कादियान ‘सृजना’

6 Likes · 6 Comments · 483 Views

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