ग़ज़ल
वक्त आया महज़ फैसला चाहिए
दुश्मनों से नहीं आँकड़ा चाहिए |
घर में घुस कर पढ़ाना सबक लाज़मी
लात के भूत को इंदिरा चाहिए |
क्रोध को रोकना अब नहीं, फटने दो
वीर हो धूर्त को मारना चाहिए |
धूर्त है पाक दल चौकसी से लड़ो
एक सर बदले दश काटना चाहिए |
नाश कर शत्रु दल अम्बिका पुत्र तुम
सिंह जस युद्ध में गर्जना चाहिए |
ध्यान दो मंत्री गण शक्ति दो सेना को
पाक को युद्ध में हारना चाहिए |
© कालीपद ‘प्रसाद’