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8 Aug 2021 · 1 min read

$ग़ज़ल

बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122/122/122/122

किसी के भरोसे उछलता नहीं दिल
जुबां की वफ़ा से टहलता नहीं दिल

मुहब्बत तुम्ही से हमें हो गई है
सिला क्या मिलेगा समझता नहीं दिल//2

हमारी मुहब्बत सज़ा बन न जाए
मग़र ख़ौफ़ से भी फिसलता नहीं दिल//3

इशारों इशारों में दिल दे दिया है
बिना आपके अब ये लगता नहीं दिल//4

किसी रोज तुमसे मुलाक़ात होगी
इसी दीद से पर निकलता नहीं दिल//5

इरादा किया वो सलामत रहेगा
कभी हार से भी बदलता नहीं दिल//6

उजाले मुहब्बत के ग़म तम मिटा दें
भुलाकर यही बात चलता नहीं दिल//7

#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

1 Like · 225 Views
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