$ग़ज़ल
#ग़ज़ल
मीटर/बह्र – 1222/1222/1222/1222
मिले उनसे दिले ग़म भूल सारे हम गये यारों
मुहब्बत वो मिली उनकी सँवारे हम गये यारों
निगाहें प्यार की प्यासी मिलाई जो अदाओं से
मचल कर दिल उन्हीं पर हार हारे हम गये यारों
इरादा था दिखाई ईद का दे चाँद बादल से
उसे देखा भुला ख़ुद को निहारे हम गये यारों
हमारी आरज़ू पूरी हुयी साथी मिला ऐसा
नहीं दिल से कभी उनके उतारे हम गये यारों
कभी दिल दो किसी को तुम दग़ा मत दीजिए प्यारे
इन्हीं सपनों को मिल दोनों निखारे हम गये यारों
मिसालें दे ज़माना भी मुहब्बत वो करो लोगो
मिलाए सुर दिलों के ये पुकारे हम गये यारों
दिले-मंदिर किया प्रीतम जलाकर दीप चाहत का
अँधेरों से उजालों के किनारे हम गये यारों
#आर.एस. ‘प्रीतम’