ग़ज़ल
इश्क़ में ज़िन्दगी अपनी बेकार करता है
क्यूँ फूल की हिफाज़त ख़ार करता है ।।
एक अजीब शख्स से दिल लगा रक्खा है
न बैर करता है मुझसे न प्यार करता है ।।
उनकी मुस्कुराहट है हर मर्ज़ की दवा
उनका रूठना हमको बीमार करता है ।।
पँख मिलते ही घरों को भूल जाते है परिंदे
और घोंसला पेड़ पर इन्तिज़ार करता है ।।
– चिंतन जैन