#ग़ज़ल-52
मीटर–212-212-212-212
आपकी याद तो आ ग़ज़ल-सी हुई
शायरी खिल अदब ये कमल-सी हुई/1
चाँद की चाँदनी-सी अमर याद है
कब बिछड़कर जुदा ये सजल-सी हुई/2
पाक दामन सदा पाक मन है करे
बात मेरी क़सम से अटल-सी हुई/3
आज भी रुह तुझे भूल सकती नहीं
दिल-नगर में अरे तू महल-सी हुई/4
सोचता भी नहीं पर नज़र में रहे
प्यार की ये ग़जब की पहल-सी हुई/5
बिन कहे जो मिले ना क़दर वो करे
ज़िंदगी यूँ लगेगी सरल-सी हुई/6
एक मरना कहे एक जीना सुनो
सादगी है उसी की अचल-सी हुई/7
-आर.एस.’प्रीतम’