ग़ज़ल
सपना भी रुचिकर हो जाता,
गर उसका दिल घर हो जाता \1\
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सबके दुख जो खुद सहले वो,
दुनियां में ईश्वर हो जाता\2\
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झूठी बात लगे सब अच्छी ,
सच बोले नश्तर हो जाता\3 \
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गर वो छू लेता पांवो को ,
ऊँचा उसका सर हो जाता \4\
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यदि वो हंस पड़ती होले से,
मेरा भी कम डर हो जाता \5\
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नीचा कर लेता वो सर को,
या फिर ऊँचा दर हो जाता \6\
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जो पूजे नित मात पिता को ,
मन उसका मन्दिर हो जाता \7\
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रामकिशोर उपाध्याय