ग़ज़ल- वे मुझे रात भर याद आते रहे
ग़ज़ल- वे मुझे रात भर याद आते रहे
■■■■■■■■■■■■■■■■
वे मुझे रात भर याद आते रहे
और लम्हें सभी मुस्कुराते रहे
भूलकर वे कभी याद करते नहीं
इश्क़ में क्यों उन्हें गुनगुनाते रहे
इक सनम के लिए पागलों की तरह
क्यूँ भला आँसुओं में नहाते रहे
एक कोने में कोई सिसकता रहा
संगदिल थे सभी आते-जाते रहे
आस में आगमन के तुम्हारे सनम
रोज़ ‘आकाश’ आँगन सजाते रहे
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 17/10/2020