ग़ज़ल- बात जुबा से रहने दो…
बात जुबा से रहने दो।
आँखों को ही कहने दो।।
मैल अगर मन का जाये।
आँसू झर-झर बहने दो।।
मिलने का सुख मिला नही।
दर्द-ए-जुदाई सहने दो।।
ठौर-ठिकाना पता नही।
सपनों का घर रहने दो।।
चाह नही रत्नों की है
बस फूलों के गहने दो।।
टूटा है बस दिल अपना।
सपनों को मत ढहने दो।।
‘कल्प’ कल्पना थोथी है।
एक हकीकत कहने दो।।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’
फ़ैलुन फ़ैलुन फ़ैलुन फ़ा