ग़ज़ल- नई ग़ज़लों में ख़याल अब भी पुराने होंगें…
नई ग़ज़लों में ख़याल अब भी पुराने होंगें।
रोज महफ़िल में नये शे’र सुनाने होंगे।।
कुछ रदीफों से नहीं काम चलेगा अपना।
जाब़िया नेक नये क़ाफिये लाने होंगे।।
रखे दुनिया हमें यादों के समुंदर में तो।
खारे पानी में मधुर शब्द मिलाने होंगे।।
गीत गज़लें भी करें सैर कभी अम्बर की।
पंख अल्फ़ाज़ के परवाज़ उड़ाने होंगे।।
हो असरदार ग़ज़ल राज दिलों पे तेरा।
सही भावों में सही शब्द बिठाने होंगे।।
‘कल्प’ तुमको जो मुक़म्मल सी ग़ज़ल कहना हो।
काय़दे तब तो सुख़न के ही निभाने होंगे।।
✍? by:- अरविंद राजपूत ‘कल्प’
2122/1122 1122 1122 22।