ग़ज़ल – मुफ़लिसों को दुनिया में क्या कोई अधिकार नही
मुफ़लिसों को दुनिया में क्या कोई अधिकार नही
पास है हिम्मत की ताकत समझो तुम लाचार नही।।
लोग गरीबी की अक्सर खूब उड़ाते हैं खिल्ली
इंसान नही हैं ऐसों पर बोलो क्यों धिक्कार नहीं ।।
चारो तरफ घना अँधेरा, नही रोशनी की गुंजाइश
हर हाथों में नफ़रत है प्यार कहीं दरकार नहीं ।।
जीवन में संघर्ष बहुत जिनसे लड़ना-मरना है
जीत गए तो जीत है अपनी हार गए तो हार नही।।
बैठे हैं बिकने की खातिर,दुनियां के बाजारों में
लेकिन ईमां न बेचूंगा कहीं किसी बाजार नही।।
-आकिब जावेद