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7 Nov 2018 · 1 min read

ग़ज़ल:- नये अंदाज में अब हम, दिवाली यूँ मनाएंगे

अंदाज में अब हम, दिवाली यूँ मनाएंगे।
जलायेंगे बुराई को तभी, दीपक जलायेंगे।।

अभी भी दर-बदर फिरते, हैं लाखों बेसहारा हैं।
मिले इक घर, जो बेघर को, तभी हम घर सजायेंगे।

हरें मज़लूम की पीड़ा, न अबला का भी शोषण हो।
यतीमों को मिले भोजन, मिठाई तब ही खायेंगे।।

बड़ी है खाई इस जग में, अमीरी उर गरीबी में।
मिले सम्मान पिछड़ों को, पटाखे तब चलायेंगे।।

धधकती नफरतें दिल में, रहे आतंक का पहरा।
मिटे तस्वीर ये दिल से, दिवाली तब मनायेंगे।।

✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’

1 Like · 2 Comments · 418 Views
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