ग़ज़ल- इस तरह दिल चुराने लगी
ग़ज़ल- इस तरह दिल चुराने लगी
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इस तरह दिल चुराने लगी
वो मुझे गुनगुनाने लगी
हो गयी क्या मुहब्बत उसे
गेसुओं को सजाने लगी
अश्क़ बहने लगे इश्क़ में
और वो मुस्कुराने लगी
जान लेकर मेरी क्या कहूँ
जान ही दूर जाने लगी
बात उसकी चुभी इस क़दर
शर्म तीरों को आने लगी
छोड़ ‘आकाश’ प्यासा मुझे
डुबकियाँ वो लगाने लगी
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 19/06/2020