Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jun 2021 · 1 min read

ग़ज़ल – आया शहर कमाने था बरक़त के वास्ते

ग़ज़ल
■आया शहर कमाने था बरक़त के वास्ते।
221 2121 1221 212
आया शहर कमाने था बरक़त के वास्ते।
लेकिन भटक रहे बद किस्मत के वास्ते।

कहके बुरा भला हमे बदनाम कर दिया
ख़ामोश हम रहे थे शराफत के वास्ते।

वे खून चूसते हैं गरीबों का नित यहाँ
बर्बाद मुल्क है ये सियासत के वास्ते।

उस गुलबदन कि याद में होते थे रतजगे
रहते थे बेकरार मुहब्बत के वास्ते।

परदेश जा रहा है भला कौन खुशी से
घर छोड़कर पड़े हैं वो दौलत के वास्ते।

उसने दहेज के लिए पगड़ी उछाल दी
ख़ामोश है पिता बस इज़्ज़त के वास्ते।

आया अजीब आज ज़माने का दौर है
उठती हैं उँगलियाँ अब नफ़रत के वास्ते।

अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहाँपुर, उ.प्र.

1 Like · 228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
उसे भुलाने के सभी,
उसे भुलाने के सभी,
sushil sarna
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
surenderpal vaidya
पूरे 98.8%
पूरे 98.8%
*Author प्रणय प्रभात*
सारे रिश्तों से
सारे रिश्तों से
Dr fauzia Naseem shad
उफ़ ये बेटियाँ
उफ़ ये बेटियाँ
SHAMA PARVEEN
खोल नैन द्वार माँ।
खोल नैन द्वार माँ।
लक्ष्मी सिंह
" ये धरती है अपनी...
VEDANTA PATEL
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तुम सम्भलकर चलो
तुम सम्भलकर चलो
gurudeenverma198
तुम पंख बन कर लग जाओ
तुम पंख बन कर लग जाओ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
लौट  आते  नहीं  अगर  बुलाने   के   बाद
लौट आते नहीं अगर बुलाने के बाद
Anil Mishra Prahari
23/203. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/203. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मौत आग का दरिया*
*मौत आग का दरिया*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"तकरार"
Dr. Kishan tandon kranti
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Neeraj Agarwal
मेरी जन्नत
मेरी जन्नत
Satish Srijan
अब  रह  ही  क्या गया है आजमाने के लिए
अब रह ही क्या गया है आजमाने के लिए
हरवंश हृदय
वक्त लगता है
वक्त लगता है
Vandna Thakur
प्रेम भाव रक्षित रखो,कोई भी हो तव धर्म।
प्रेम भाव रक्षित रखो,कोई भी हो तव धर्म।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
'सवालात' ग़ज़ल
'सवालात' ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
नैनों में प्रिय तुम बसे....
नैनों में प्रिय तुम बसे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
*जिसका सुंदर स्वास्थ्य जगत में, केवल वह धनवान है (हिंदी गजल)
*जिसका सुंदर स्वास्थ्य जगत में, केवल वह धनवान है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
दिल से बहुत बधाई है पोते के जन्म पर।
दिल से बहुत बधाई है पोते के जन्म पर।
सत्य कुमार प्रेमी
Wakt ke pahredar
Wakt ke pahredar
Sakshi Tripathi
आवाज़ ज़रूरी नहीं,
आवाज़ ज़रूरी नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
........,!
........,!
शेखर सिंह
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
देने तो आया था मैं उसको कान का झुमका,
देने तो आया था मैं उसको कान का झुमका,
Vishal babu (vishu)
Loading...