#कुंडलिया//
समय चक्र है घूमता , चल इसकी रफ़्तार।
कदर समय की हो अगर , मिटता जीवन भार।।
मिटता जीवन भार , कांत हो जीवन आँगन।
हरक्षण सुख की धूप , करेगी चित को पावन।
सुन प्रीतम की बात , वक़्त की सुंदर है लय।
करिये इसका संग , स्नेह दे दिन रात समय।
#आर.एस. ‘प्रीतम’