हो हो त हो हो (हास्य कविता)
आइ तक कोनो पुरूस्कारी मुहें नै कतौअ सुनली? हो हो?
जे बलू कि बाभन कि सोलकन? साहित्य मे सब एक समान? हो हो?
सब वर्ग के दियौअ मैथिली साहित्य मे स्थान? नै कोई हो हो
मिथिलाक सब जाति के समावेशी सम्मान? कोई ने करह हो हो?
होहकारीयो नै कहियो बजलै ग साहित्य मे सब रहौ? हो हो?
हं पेटपोसै लै मिथिला राज मैथिली मठ बनले रहौ? हो हो?
सबटा मैथिली छियै सब मैथिल छै? सब करह हो हो?
मानके टा मैथिली आ सर्वजन बाजब के राड़ बोली कहक? हो हो?
अंगिका बज्जिक्का षडयंत्र केलकै? हो हो?
मैथिली अपने षड्यंत्र केलकै तेकरा झांपह? हो हो?
वर्गभेद हेबे करतै कियो देखार ने करै जाह? हो हो?
मिथिला मैथिली हमरे टा बपौती रैह जाउ? हो हो?
पछुएलहा सबके भ्रम मे राखि पिछलगुआ बनेने रहबै हो हो?
मानक बहन्ने मैथिली पर सब दिन कब्जा केने रहबै हो हो?
यथार्थ देखा के बिरोध नै हुअ दहक? हो हो
चोरनुकबा बनल तमस्सा देखब? बिरोध ने करबै? हो हो
हमहू कहबै हो हो तहूं कहक हो हो?
मिथिला मैथिली के निदान नै हुअ दहक हे हो त फेर हो हो?
के रोकत टोकत? मनमाना करै जाह मैथिली के रोटी खाह?
मिथिला विकास मे पछुआले रैह जाऊ? हम तू करब हो हो?
कवि- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
10/07/2021