हो जाएं “मन्ना डे” साहब:-गाये गुनगुनाये
हर दिन मन्ना डे.
गाते रहो.गुनगुनाते रहे.
हो सके तो लिखते रहे.
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ये इश्क नहीं आयोजन.
जब होता है.
तब होता है.
नाच उठता है मयूर एक दिन.
बनने से पहले मयूरी इक दिन.
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कुछ कर गुजरने को.
जुनून चाहिये.
हर निश-दिन होता है.
एक उज्ज्वल दिन.
बहाने है.
बेशर्म नहीं.
शर्म है उसे भी.
कैसे तोड़ कर आये बंधन.
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डॉ महेंद्र