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18 Jun 2021 · 2 min read

हो गए केवट के श्रीराम !

हो गए केवट के श्रीराम !

केवट को बुलाकर बोले श्रीराम ,
गंगा पार करो हमें, तो हो कुछ काम।
केवट देख राम को, मन ही मन मुसकाया,
कुछ सकुचाया फिर मन के भाव बताया।

बोला केवट, भेद तुम्हारा मैं तो जानूँ,
चरणों में जादू टोना, ऐसा भी मैं मानूं ।
सुनी तुम्हारे चरणों की खूब कहानी,
पत्थर की शिला हुई थी सुंदर नारी।

नैया मेरी, परिवार की पालन हारी,
इससे ही चलती प्रभु रोज़ी हमारी।
नैया जो नारी हुई अनर्थ हो जायेगा,
जीवन मेरा तो व्यर्थ हो जायेग।

हां उपाय मन में है इक आया ,
धोकर चरण देखूँ क्या है माया।
चरण रज पीकर जो मैं बच जाऊंगा,
प्रभु गंगा पर तुम्हें कराऊंगा।

मुस्का कर बोले फिर भगवान ,
करो वही जिससे ना हो नुकसान।
कठावता मंगाओ, चरण तुम पखारो,
हो रहा विलंब, अब पार हमें उतारो।

प्रेम लिए मन में ,केवट चरण पखारन लागा,
कर्म फल मिला उसे, भाग उसका था जागा।
चरण रज पीकर पितरों को जब तार दिया,
लखन राम सिया को उसने गंगा पार किया।

गंगा पर उतरकर, खड़े हुए रघुवीर,
गुह लखन सीता सहित रहे कुछ गंभीर ,
केवट उतर कर करने लगा जब प्रणाम ,
देने को कुछ भी नहीं, सकुचाए भगवान।

सीता ने मुद्री तब प्रभु को थमाई ,
देने लगे प्रभु, केवट को उतराई।
केवट की आंखों में जल भर आया,
मन का भाव प्रभु को कह सुनाया।

नाथ आज मैं क्या नहीं पाया,
दोष दरिद्रता सब तुमने मिटाया ।
बहुत समय करता रहा मैं मजदूरी,
विधाता ने आज दे दी पूरी मजूरी ।

बहुत समझाए केवट को भगवान,
केवट ने नहीं लिया जब कुछ दाम।
देकर अविरल भक्ति का वरदान,
हो गए केवट के श्री राम।

Language: Hindi
1 Like · 376 Views
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