Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2024 · 3 min read

परीक्षाएँ आ गईं……..अब समय न बिगाड़ें

दोस्तों, परीक्षाएँ प्रारम्भ होने में अब बस थोड़ा ही समय बाकी रह गया है । हमने पूरे साल जो किया-सो-किया लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपने समय को व्यर्थ न गवाएँ क्योंकि अगर ये समय भी निकल गया तो फिर हमारे हाथ कुछ नहीं लगेगा और हम ठगे से रह जाएँगे ।

हम सालभर पढ़ाई की सिर्फ़ प्लानिंग करते हैं लेकिन आप कितने प्रतिशत उस पर चल पाते हैं ये आप और हम सब जानते हैं । साल की शुरुआत में हम सोचते हैं अभी तो जुलाई है इस बार ऐसी पढ़ाई करूंगा, इतने अच्छे अंक लाऊंगा की माँ-बाप को भी मुझ पर नाज़ होगा ।

सितंबर तक आते-आते हम सोचते हैं कि अभी तो सिर्फ़ दो महीने ही तो निकले हैं बस, आज से पढ़ाई शुरू करते हैं और उत्साह में पढ़ाई का टाइम-टेबल बनाते हैं कि रोज सात-आठ घंटे भी पढूँगा तो अच्छा खासा स्कोर लूंगा । दिसंबर आते आते हमें ठण्ड लगने लगती है बहुत ज्यादा नींद आने लगती है ।
जनवरी आते-आते सोचने लगते है कोई बात नहीं अभी भी एक महीना बाकी है अभी से आज से ही पढना शुरू करूंगा तो भी साठ,सत्तर परसेंट कहीं नहीं गए । फरवरी आते ही अब हमें चिंता होने लगती है कैसे पढूँ, कहाँ से पढूँ , कौन-सा टॉपिक ज्यादा महत्वपूर्ण है ये हम निर्णय ही नहीं कर पाते और शांत मन से, दृढ़ता से योजना बनाने की बजाय फिर से किताब बंद कर देते हैं ।

परीक्षा से एक सप्ताह पहले सोचते हैं कि अब भी अगर मैं सर के बताये महत्वपूर्ण प्रश्न याद कर लूँगा तो पास तो हो ही जाऊँगा । परीक्षा के दिन अरे! ये प्रश्न तो मैंने देखा था, लेकिन याद नहीं किया, ये प्रश्न तो सर ने समझाया था लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया । अंत में ये कैफ़ीयत होती है हमारी परीक्षा के दिनों में, एग्जाम हॉल से बाहर निकलते हैं तो कहते हैं कि इतना तो लिख ही आया हूँ कि पास तो हो जाऊँगा । अब सब कुछ परीक्षक के मूड पर निर्भर है कि वह कैसे कॉपी चेक करते हैं ।

ऐसे फालतू और बेकार के बहाने बनाते हुए हम अपना पूरा साल खराब कर देते हैं । अंत में हमारे हाथ क्या लगा साल भर की बर्बादी समय और पैसों का नुकसान, समाज में बेइज्जती, माता-पिता की मेहनत बेकार और दोस्तों में उड़ता मज़ाक ।

इसका कारण क्या रहा ? इसका कारण ये रहा कि आपने सालभर वह सब काम किये जिसे किये बिना भी आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन सिर्फ़ एक वही काम नहीं किया जिससे आपको आपके माता-पिता को फ़र्क पड़ता है, आपने पढ़ाई नहीं की और जाने-अनजाने खुद को ही बेवकूफ बनाते रहे । बेचारे माँ-बाप ने एक ही काम दिया था, पढ़ाई करने का लेकिन हमसे वह भी नहीं हुआ और हमने पढ़ाई छोड़ कर सब काम किए ।

अब हम अपनी असफलता का ठीकरा दूसरों के सिर पर फोड़ने का प्रयास करते हैं । अपनी असफलता का कारण बताते हैं कि स्कूल में पढ़ाई नहीं होती थी, टीचर अच्छा नहीं पढ़ाते थे । कोर्स जल्दी-जल्दी पूरा करवा दिया था, मैं बीमार हो गया था ।

ऐसे फालतू के बहाने आप बनाते रहो इससे किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता । फ़र्क पड़ता है तो सिर्फ़ आपके माँ-बाप को जो आपसे कई आशाएँ लगा के बैठे थे और दूसरा आपको क्योंकि आपके विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण वर्ष आपकी लापरवाही से बर्बाद हो चुका है ।

तो दोस्तों अपने समय को बेकार की चीज़ों से बचाने की कोशिश करो और मन लगाकर पढ़ाई में लग जाओ । अभी भी यदि पूरी मेहनत से लग जाओगे तो अब भी सफलता की संभावनाएँ हैं । अब एक-एक दिन, एक-एक मिनट कीमती है अब तक हुआ–सो–हुआ अब भी सँभल जाओ और समय को अपने बेकार के बहानों में बर्बाद मत करो क्योंकि समय कंभी लौटकर नहीं आता ।
पंकज कुमार शर्मा ‘प्रखर’
कोटा , राज.

Language: Hindi
1 Like · 75 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"अहमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
नवगीत
नवगीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
उफ्फ यह गर्मी (बाल कविता )
उफ्फ यह गर्मी (बाल कविता )
श्याम सिंह बिष्ट
मुझसे  नज़रें  मिलाओगे  क्या ।
मुझसे नज़रें मिलाओगे क्या ।
Shah Alam Hindustani
मन में संदिग्ध हो
मन में संदिग्ध हो
Rituraj shivem verma
कोमल चितवन
कोमल चितवन
Vishnu Prasad 'panchotiya'
गजल
गजल
Punam Pande
कल कल करती बेकल नदियां
कल कल करती बेकल नदियां
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*हम तो हम भी ना बन सके*
*हम तो हम भी ना बन सके*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
वक्ष स्थल से छलांग / MUSAFIR BAITHA
वक्ष स्थल से छलांग / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हाय गरीबी जुल्म न कर
हाय गरीबी जुल्म न कर
कृष्णकांत गुर्जर
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
"बहुत से लोग
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे ख्याल से जीवन से ऊब जाना भी अच्छी बात है,
मेरे ख्याल से जीवन से ऊब जाना भी अच्छी बात है,
पूर्वार्थ
मासूमियत की हत्या से आहत
मासूमियत की हत्या से आहत
Sanjay ' शून्य'
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
Alka Gupta
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं क्यों याद करूँ उनको
मैं क्यों याद करूँ उनको
gurudeenverma198
सत्य असत्य से हारा नहीं है
सत्य असत्य से हारा नहीं है
Dr fauzia Naseem shad
तेरा होना...... मैं चाह लेता
तेरा होना...... मैं चाह लेता
सिद्धार्थ गोरखपुरी
इंसान बनने के लिए
इंसान बनने के लिए
Mamta Singh Devaa
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
पसोपेश,,,उमेश के हाइकु
पसोपेश,,,उमेश के हाइकु
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
2602.पूर्णिका
2602.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
* नहीं पिघलते *
* नहीं पिघलते *
surenderpal vaidya
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कवि रमेशराज
मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Loading...