होली
ये जीवन भी है जैसे होली
जज्बातों की बनी रंगोली ।
सुख औ दुःख रंग हैं यारों
मलतें हैं वो जैसे हमजोली
खुशी की है पिचकारी भी
तो कभी है गमों की रोली ।
सूबह इमरती ,शाम गुलाल
रातें हुड़दंग सपनों की टोली ।
तरह-तरह के रंग रिश्तों मे
कुछ सगे हैं कुछ मुहँबोली।
क्यूँ न हर दिन ही पर्व मनाएँ
मिलकर करें हँसी ठिठोली ।
-अजय प्रसाद