“होली आ गई”
लेकर खुशियों का पैग़ाम
फिर होली आ गई,
रंगने मोहब्बत के रंग में,
फिर होली आ गई।
उड़ेगा गुलाल, रंगों की पिचकारी चलेगी,
हरा, लाल, पिला रंगों से
मन की कालिख़ धुलेगी,
मिलेंगे सब गले एक दूजे के
नफ़रत की सारी दीवार गिरेगी।
लेकर जोगीरा की धुन
मचाने खलबली आ गई,
रंगने मोहब्बत के रंग में,
फिर होली आ गई।
हुआ है मौसम मतवाला
चढ़ी भाँग की ख़ुमारी है,
मग्न है श्याम भी धुन में
रंगी राधा भी प्यारी है,
बहुत हो गया तकरार
अब मिलन की बारी है,
इश्क़ के रंगों से
भरी मन की पिचकारी है,
करने फ़तेह बुराई पे
अच्छाई की डोली आ गई,
रंगने मोहब्बत के रंग में
फिर होली आ गई।
-सरफ़राज़