होली आई रे
@ “होली आई रे”
होली आई…..होली आई…होली आई रे
होली आई…..होली आई…होली आई रे…..
नीले पीले लाल गुलाबी रंगों का ये त्यौहार,
खुशियों उमंगों से भर देता है सबका संसार।
क्या बच्चे क्या बूढ़े सबकी बनाने टोली आई रे,
रंग बिरंगे रंगों में सबको डुबोने होली आई रे।
होली आई…..होली आई…होली आई रे ….1
रंग गुलाल से सराबोर तन मन को करेंगे,
ढोल नगाड़े की थाप में सब मिल थिरकेंगे।
गली गली में होली की हुडदंग अब मचेगी,
रंग बिरंगे रंगों से राधा गोरी की चोली सनेगी।
होली आई…..होली आई…होली आई रे ….2
मदमस्तों की टोली में खुशियां है छाई,
भेदभाव लड़ाई झगडे भूल जाओ भाई।
होली के रंग में खुद रंगों औरों को भी रंगा लो,
छोड़कर सारे दुख विषाद मस्ती में झूमो गा लो।
होली आई…..होली आई…होली आई रे ….3
ऊंच नीच अमीरी गरीबी सबको भुलाकर,
आओ हम होली मनाएं सबको गले लगाकर।
होली के रंगों से रंग दो सभी को तुम प्यारे,
खुश होकर दुआ सच्ची देंगे तुमको बेचारे।
होली आई…..होली आई…होली आई रे ….4
राग द्वेष और भेदभाव की छोड़ो तुम बोली,
मिल जुलकर सतरंगी रंगों से खेलो होली।
इस होली दुश्मनी दूरियां सब तुम भूलाओ,
होली की बोली में चहुं ओर मिठास फैलाओ।।
होली आई…..होली आई…होली आई रे ….5
✍️ मुकेश कुमार सोनकर
रायपुर छत्तीसगढ़