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26 Apr 2024 · 1 min read

दोहावली

समझ बात की जब बढ़े, उसे समझिए ज्ञान।
रटी हुई हर बात तो, अर्थ रखे अनजान।।//1

भूल समझता भूल कर, वही बने विद्वान।
मूर्ख मगर वह भूल कर, सोये चादर तान।।//2

शक्ल देख मत न्याय कर, देख किया जो कर्म।
सच्चे हर इंसान का, यही बड़ा है धर्म।।//3

जिसकी जैसी सोच है, उसका उतना मान।
काँटों से परहेज़ हो, फूलों पर हो ध्यान।।//4

आदत से मज़बूर हो, किये बुरे सब काम।
अच्छाई का अब तुम्हें, नहीं मिले ईनाम।।//5

धैर्य बिना बेकार है, शान ज्ञान सम्मान।
बुरी भली जैसी मिले, स्थिति हर को पहचान।।//6

प्रीतम तेरे प्रेम को, समझे सिर्फ़ सुजान।
दीप दिखा लघु दीर्घ को, देते सम सम्मान।।//7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
2 Likes · 19 Views
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