होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे मे !
धूम मची चौबारे में!!
छोरा-छोरी राधाकृष्ण बन
मस्ती करे पौबारे मे !!
बुड्ढ-बुड्ढे लोग-लुगाई,
ठुमकत गलियारे मे !!
कामदेव बसंत को अबहू
ठाडो दस्तक देव द्वारे मे !!
लड्डन,फूलन से लट्ठमार ,
पहुची गुलाल-गुब्बारे मे!!
कहे बोधिसत्व इन्द्रधनुषी
छटा बिखरी संसार हमारे मे!!