*होता है अमर नहीं कोई, अमरत्व भला किसने पाया (राधेश्यामी छंद
होता है अमर नहीं कोई, अमरत्व भला किसने पाया (राधेश्यामी छंद)
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होता है अमर नहीं कोई, अमरत्व भला किसने पाया
जीवन का क्षणभंगुर सच ही, सर्वदा देखने में आया
धरती पर आकर सदा मनुज, जाने का टिकट कटाता है
सौ साल मिले हैं सबको ही, बस इतना जग से नाता है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451