हे मेरे लक्ष्य— गजल /गीतिका
पाने का था जुनून तुझे, मैं तेरे पीछे आया।
हे मेरे लक्ष्य ! तेरे खातिर मैंने, सब को भुलाया।।
तकलीफे तो बहुत हुई मुझे,तुझ तक पहुंचने में।
“”कर्म “”से कहा मैंने अपने आप को हटाया।
“”धर्म”” भी यही था मेरा ,कैसे साथ छोड़ देता तेरा।
रोकने वाले तो बहुत मिले, पर मैंने “”मन”” नहीं भटकाया।।
कठिन ‘परिश्रम’से मिला है तू मुझे, दिलो जान से चाहा था तुझे।
“”मंजिल “”पाने वालों के लिए पैगाम मैं यही लाया।।
जानना चाहेंगे आप सभी “”लक्ष्य”” क्या? था मेरा।
तो जानिए मैंने हमेशा “”मानवता “”का रास्ता अपनाया।।
चाहता है कोई लक्ष्य मै भी यही पाऊं।
शौक से पाइए “”अनुनय”” सुगम पथ जो बताया।।
राजेश व्यास “”अनुनय””