Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2021 · 1 min read

हे परमेश्वर -हे प्रभो!

हे परमेश्वर-हे प्रभो!
मन दिग्भ्रमित है,
समाधान करो,
मन मस्तिष्क में है मची ऊहापोह,
हे ईश्वर इस पर ध्यान धरो,
हे परमेश्वर-हे प्रभो,
मेरी शंकाओं को दूर करो,
मैं आया शरण तिहारी प्रभो,
हे परमेश्वर-हे प्रभो!

जीवन संगिनी मेरी,
है क्लांत ऐसे ही,
लगता उसको कुछ ऐसा ही,
नहीं परिवेश उसके जैसा ही,
हो रही उपेक्षा महसूस उसे,
मैं समझाऊं उसको कैसे,
हर प्राणी की अपनी जीवन शैली है,
मुझको लगता है यह अलबेली है,
नहीं ढाल वह अपने को पाती,
कसमसा कर हर बार रह जाती,
जब मैं कहता हूं उससे,
रहना होगा हमको अब वैसे,
रखना चाहें वह हमें जैसे,
पर वह मानने को तैयार नहीं,
खड़ी हुई है समस्या यही,
उसको यह सद्बुद्धि मिले
हर आशंका का समाधान बने,
हे परमेश्वर-हे प्रभो,
शरणागत हूं, ध्यान धरो!

यह यक्ष प्रश्न मेरे सम्मुख है,
इसका समाधान मेरा लक्ष्य है,
क्या पीढ़ियों का यह फर्क है,
या जीवन जीने का यह अपना तर्क है,
क्या मर्यादाएं हैं टूट रही,
या परंपरा हैं पीछे छूट गई,
कुछ ना कुछ तो यह नया -नया है,
जो हमको नहीं जच या भा रहा है,
मैं कैसे समझाऊं उन्हें अभी,
कैसे बतलाऊं उन्हें, अपनी बीती हुई कभी,
दिवास्वप्न सा उनको लगता है,
ऐसे भी हुआ होगा कभी,
उनको यह पचता नहीं है,
उन्हें भरोसा यह जगे,
थक-हारकर मैं यहां पर आया हूं,
तेरे दर पर आकर शीष नवाया हूं,
विपत्ति का मेरी कर दो निदान,
हे करुणा सिंधु-हे करुणा निधान,
मैं आया शरण तिहारी प्रभो,
मैं शरणागत हूं, ध्यान धरो,
हे परमेश्वर-हे प्रभो!

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
Ankur Rawat
ये कैसा घर है. . .
ये कैसा घर है. . .
sushil sarna
हाजीपुर
हाजीपुर
Hajipur
गीत
गीत
गुमनाम 'बाबा'
अयोध्या
अयोध्या
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
Phool gufran
मायका
मायका
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राखी प्रेम का बंधन
राखी प्रेम का बंधन
रवि शंकर साह
रोशनी
रोशनी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
देख कर उनको
देख कर उनको
हिमांशु Kulshrestha
मेरे बाबूजी लोककवि रामचरन गुप्त +डॉ. सुरेश त्रस्त
मेरे बाबूजी लोककवि रामचरन गुप्त +डॉ. सुरेश त्रस्त
कवि रमेशराज
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
goutam shaw
प्रेम!
प्रेम!
कविता झा ‘गीत’
माली अकेला क्या करे ?,
माली अकेला क्या करे ?,
ओनिका सेतिया 'अनु '
दुःख,दिक्कतें औ दर्द  है अपनी कहानी में,
दुःख,दिक्कतें औ दर्द है अपनी कहानी में,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
याद आए दिन बचपन के
याद आए दिन बचपन के
Manu Vashistha
पश्चाताप
पश्चाताप
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन का कोई सार न हो
जीवन का कोई सार न हो
Shweta Soni
दुःख पहाड़ जैसे हों
दुःख पहाड़ जैसे हों
Sonam Puneet Dubey
मैं को तुम
मैं को तुम
Dr fauzia Naseem shad
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
Manisha Manjari
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🙅आज का विज्ञापन🙅
🙅आज का विज्ञापन🙅
*प्रणय प्रभात*
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
हमारे जीवन की सभी समस्याओं की वजह सिर्फ दो शब्द है:—
पूर्वार्थ
3273.*पूर्णिका*
3273.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
Loading...