“” *हे अनंत रूप श्रीकृष्ण* “”
“” हे अनंत रूप श्रीकृष्ण “”
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( 1 ) ” हे “, हे
अनंत रुप श्रीकृष्ण ,
हो आप हमारे आदि देव सर्वात्मा !
देखके श्रीहरि आपका दिव्य वृहत स्वरूप .,
रोमांचित हुआ मन और तन-बदन झूम उठा !!
( 2 ) ” अनंत “, अनंत
आनंद के श्रीपर्याय,
हो आप ही इस जगत् के परम आश्रय !
देखके सौम्य अप्रतिम विराट रूप भव्य.,
अब और कुछ नहीं बचा शेष जानने योग्य !!
( 3 ) ” रुप “, रुप
लावण्य के स्वामी,
हे लीलाधर करुणावतार श्रीकृष्ण योगेश्वर !
हो आप व्याप्त धरा-अपरा के कण-कण में ..,
और हो एकमात्र परिपूर्ण परमब्रह्म परमेश्वर !!
( 4 ) ” श्रीकृष्ण “, श्रीकृष्ण
योगेशं वासुदेव हरि,
हो आप ही हमारे जीवन के तारणहार !
अब आप ही संभालो इस जीवन नैया को..,
और कराए चलो इसे वैतरणी नदिया पार !!
( 5 ) ” हे “, हे
देवकी परमा नन्दं
श्रीकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् !
करें नित्य आपकी पूजा अर्चना वंदन…..,
और चलें निहारते दिव्य शुभानन स्वरूपम् !!
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सुनीलानंद
मंगलवार,
07 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |