Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2020 · 3 min read

“वृक्षारोपण ही एक सफल उपाय”

आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण बन गई है चाहे वह किसी प्रकार का प्रदूषण हो हमारे देश की हरी भरी धरती आज विशालकाय अट्टालिकाओं में तब्दील होती जा रही है । हम लगातार भौतिक प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहे है जिसे अपनी बड़ी उपलब्धि मानकर ढ़िढोरा पीटने से भी नहीं चूकते,साथ ही उसे हम स्टेटस का सिम्बल मानते है हमे विचार करना चाहिए कि जिस शस्य श्यामला धरती को हम अपनी माता कहते है आज उसकी यह स्थिति देखकर हमे लेश मात्र भी संकोच नही होता, यह तो वही बात हुई कि जीवित माता पिता को सही से खाना न देकर बाद में उनके नाम पर भंडारे और तर्पण किये जाए । आज का समाज पढ़ा लिखा प्रबुद्ध समाज है सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, सारा विश्व आज प्रदूषण के विषय पर एक प्लेटफार्म पर एकत्र हो रहा है |ऐसी स्थिति में हमे अपनी जिम्मेदारी स्वयं निर्धारित करनी होगी। हमे देश के ऊपर सबसे बड़े खतरे ग्लोबल वार्मिग को रोकना है जिसके लिए अपनी वन सम्पदा को बचाना होगा इसी कड़ी में हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री जी ने डिजटल इंडिया की योजना को लाकर सराहनीय कार्य किया है।
पेपर लेस काम होने से हमारी वन संपदा का संरक्षण सुनिश्चित होगा ।आज हमारे बीच तरह-तरह की बीमारियों के फैलने का मुख्य कारण प्रदूषण ही है, जो हमे लगातार प्रभावित कर रहा है इस सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए सबसे अच्छा उपाय वृक्षारोपण कारगर सिद्ध हो सकता है आज जिस गति से पेड़ो की कटाई हो रही है अगर आगामी समय मे सचेत न हुआ गया तो वह दिन दूर नही जब मनुष्य अपने हिस्से की आधी जिन्दगी भी नहीं जी पाएगा| वृक्ष हमे अपनी पूरी जिंदगी कुछ न कुछ देते रहते है हम इंसान होकर पेड़ को कंकड़ मारते है और वह हमें उसके बदले अपनी डाल से टूटे हुए फल देते है यही तो त्याग है यही परोपकार को परिभाषित करता है और हम मनुष्य क्या करते है ? बिना स्वार्थ के तो हम किसी से भी उसका हालचाल भी नही पूंछते । हमे पेड़ो से सबक लेना चाहिए क्योकि प्रकृति का सबसे बड़ा विध्वंसक प्राणी मनुष्य माना गया है प्रकृति मनुष्य को अपने अनुसार ढालना चाहती है जबकि मनुष्य प्रकृति को अपने अनुसार बदलना चाहता है और इसी उहापोह में हम मानवो द्वारा प्रकृति को अपार क्षति पहुचाई जा रही है जिसका खामियाजा बड़ी-बड़ी प्राकृतिक आपदाओं के रूप में हमे भुगतना पड़ता है लेकिन हम फिर भी सीख नही लेते । आखिर किस चीज का घमंड है मनुष्य को अपनी वैज्ञानिक उन्नति का, या अपने खुरापाती दिमाग का, जिसके दम पर हम ईश्वर के बनाए प्राकृतिक नियमों को बदलने के लिए उद्धत हो जाते है हमे यह नही भूलना चाहिए जहां पर विज्ञान काम करना बंद कर देती है वहां प्रकृति अपना काम करती है इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि हर व्यक्ति को अपने जीवन मे कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना है
और उसकी पूरी सेवा सुश्रुषा के साथ फलोत्पादन तक ले जाना है जिससे हमारे न रहने पर भी हम समाज के लिए वृक्ष के रूप में एक अमूल्य निधि दे जाए जो हमे सदैव जीवित बनाए रखे।

अमित मिश्र
शिक्षक
जवाहर नवोदय विद्यालय
रामपुर उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 5 Comments · 492 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रहे हरदम यही मंजर
रहे हरदम यही मंजर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
Sanjay ' शून्य'
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Tushar Jagawat
Speak with your work not with your words
Speak with your work not with your words
Nupur Pathak
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
चंद्रयान
चंद्रयान
डिजेन्द्र कुर्रे
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
"बहनों के संग बीता बचपन"
Ekta chitrangini
जमाना तो डरता है, डराता है।
जमाना तो डरता है, डराता है।
Priya princess panwar
🌺प्रेम कौतुक-201🌺
🌺प्रेम कौतुक-201🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कसरत करते जाओ
कसरत करते जाओ
Harish Chandra Pande
माना जीवन लघु बहुत,
माना जीवन लघु बहुत,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"शहनाई की गूंज"
Dr. Kishan tandon kranti
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
किसका चौकीदार?
किसका चौकीदार?
Shekhar Chandra Mitra
3139.*पूर्णिका*
3139.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है एक डोर
है एक डोर
Ranjana Verma
■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।
■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त से पहले..
वक्त से पहले..
Harminder Kaur
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
shabina. Naaz
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
Babli Jha
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
Shweta Soni
अधूरी मोहब्बत की कशिश में है...!!!!
अधूरी मोहब्बत की कशिश में है...!!!!
Jyoti Khari
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
Acharya Rama Nand Mandal
जिंदगी एक ख़्वाब सी
जिंदगी एक ख़्वाब सी
डॉ. शिव लहरी
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
Shakil Alam
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
जगदीश शर्मा सहज
Loading...