Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2021 · 2 min read

यह कैसी विडंबना

यह कैसी विडंबना

यह कैसी विडंबना है

आज पंक्षी
डाल पर दिखते नहीं हैं

कोयल की कूक
सुनाई देती नहीं है

यह कैसी विडंबना है

मोर का नृत्य तो दूर
उसके दर्शन भी
दुर्लभ हो गए हैं

यह कैसी विडंबना है

आज पक्षियों के झुण्ड का
गुलदस्ता नज़र आता नहीं है

यह कैसी विडंबना है

आज नदियों का कल – कल
नाद अपनी मधुरिम तान
कानों को सुनाता नहीं है

यह कैसी विडंबना है
गलियों में बच्चों का
लुका – छिपी का खेल
दिखता नहीं है

वो भंवरों का गुंजन
अब सुनने में आता नहीं है

यह कैसी विडंबना है

अब गलियारों में
बच्चों के वो बचपन वाले खेल
अब दिखते नहीं हैं

आज की युवा पीढ़ी को
समाज सेवा का पुण्य कार्य
भाता नहीं है

यह कैसी विडंबना है
फैशन टी वी , बिग बॉस से
लोगों का नाता जुड़ने लगा है

मंदिरों में अब भीड़ कम
होने लगी है

यह कैसी विडंबना है

होड़ सी लगने लगी है
नैतिकता को पीछे छोड़
आगे बढ़ने की
सुसंस्कारों से
अब नाता रास आता नहीं है

यह कैसी विडंबना है
रिश्तों में अब मिठास
दिखती नहीं है

अब सब कुछ फॉर्मल – फॉर्मल
सा नज़र आने लगा है

भावना शब्द ने
लोगों से नाता तोड़ लिया है

अब मानव सा मानव
नज़र आता नहीं है

यह कैसी विडंबना है
आधुनिकता , संस्कृति ,
संस्कारों पर
हावी होने लगी है

सुविचार पथ भृष्ट होने लगे हैं

किनारा अब नज़र आता नहीं है

यह कैसी विडंबना है

कहाँ जाकर रुकेगा
ये आतंकवाद का सैलाब

धर्म के नाम पर
लोगों के दिलों में पर रहा
उबाल , क्षेत्रीयता , जातिवाद
के नाम पर देश का बटवारा
कहां होगा थाव्राह

रास्ते कहाँ ले जायेंगे

पता नहीं है , अंत कहाँ है

कोई सिरा सूझता नहीं है

यह कैसी विडंबना है

धार्मिकता , सामाजिकता ,
मानवता , संस्कृति, संस्कार ,
सभ्यता , उदारता ,
मानव के क्रूर कर्मों का
निवाला बन चुके हैं

कहाँ होगा अंत
कहाँ रुकेंगे हम
कहाँ लेंगे विश्राम

कब पावन होगा ये धाम

शायद किसी को
समझ आता नहीं है

यह कैसी विडंबना है

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 803 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
Neelam Sharma
पुनर्जागरण काल
पुनर्जागरण काल
Dr.Pratibha Prakash
अगर कुछ करना है,तो कर डालो ,वरना शुरू भी मत करना!
अगर कुछ करना है,तो कर डालो ,वरना शुरू भी मत करना!
पूर्वार्थ
नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
एक कहानी लिख डाली.....✍️
एक कहानी लिख डाली.....✍️
singh kunwar sarvendra vikram
।। लक्ष्य ।।
।। लक्ष्य ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"दिल की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
"मौत से क्या डरना "
Yogendra Chaturwedi
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
Chaahat
युवा है हम
युवा है हम
Pratibha Pandey
पतझड़ सी उजड़ती हुई यादें भुलाई नहीं जाती है
पतझड़ सी उजड़ती हुई यादें भुलाई नहीं जाती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
Shweta Soni
*देश की आत्मा है हिंदी*
*देश की आत्मा है हिंदी*
Shashi kala vyas
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
Neelofar Khan
जाति आज भी जिंदा है...
जाति आज भी जिंदा है...
आर एस आघात
बचपन
बचपन
Vivek saswat Shukla
■
■ "टेगासुर" के कज़न्स। 😊😊
*प्रणय प्रभात*
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
Rajesh Kumar Arjun
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
जीत से बातचीत
जीत से बातचीत
Sandeep Pande
खूब निभायी दोस्ती ,
खूब निभायी दोस्ती ,
sushil sarna
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
Rejaul Karim
वीरांगना लक्ष्मीबाई
वीरांगना लक्ष्मीबाई
Anamika Tiwari 'annpurna '
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
Anil Mishra Prahari
लगता है अपने रिश्ते की उम्र छोटी ही रही ।
लगता है अपने रिश्ते की उम्र छोटी ही रही ।
Ashwini sharma
2704.*पूर्णिका*
2704.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
टिमटिमाता समूह
टिमटिमाता समूह
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
Loading...