हृदय
कविता-हृदय
एक पल में हृदय ,बदल जाते हैं यहां,
कौन किस पर यकीन करे,
विश्वास कैसे किसी पर करें।
तेरी खामोशी अब मुझे बहुत चुभती है,
तेरी चाहत से, जिंदगी, जिंदगी सी लगती है!!!
एक तेरे आने से ,
जीवन में बहार आई।
दिल की बगिया खिल उठी,
कलियां भी झूम-झूम उठी—
हृदय हुआ कुसुमित,
फूलों में चमक आई।
खिल उठा दिल का तार-तार,
और हृदय भी धड़के बार-बार,
जीवन में खुशियां छांई!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,