हृदय वीणा हो गया।
जल उठे साथी, तो मेरा सीना चौड़ा हो गया।
ज्ञानी -गुरु की चौखट औ श्रम का पसीना हो गया।
सुबोध की चाहत में जागृत भाव से आगे बढा ।
समय ने पुनि पुनि सॅंवारा, मम ह्रदय वीणा हो गया।
पं बृजेश कुमार नायक
जल उठे साथी, तो मेरा सीना चौड़ा हो गया।
ज्ञानी -गुरु की चौखट औ श्रम का पसीना हो गया।
सुबोध की चाहत में जागृत भाव से आगे बढा ।
समय ने पुनि पुनि सॅंवारा, मम ह्रदय वीणा हो गया।
पं बृजेश कुमार नायक