“हूँ एक कहानी”
हूँ एक कहानी,
थोडी जानी,
थोडी पहचानी ,
पढ सको तो पढ लो ,
नहीं कोइ अनजानी,
हूँ एक कहानी.
शब्दों में सनी हूँ ,
भावों में सिमटी हूँ ,
लेखनी की पीडा से उपजी हूँ ,
अक्षर -अक्षर घोल कर उमडी हूँ ,
कागज़ -कागज़ पैदल चली हूँ ,
मगर नहीं की मनमानी,
हूँ एक कहानी,
थोडी जानी ,
थोडी पहचानी.
…निधि…