*हुस्न तेरा है गरूर भरा*
हुस्न तेरा है गरूर भरा
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हुस्न तेरा है गरूर भरा,
चेहरे पर रूहानी नूर चढ़ा।
मयकशी सा है छाया रहे,
नशा जवानी सरूर भरा।
ना कोई सानी है आपसा,
बहुत ज्यादा फितूर भरा।
बगीचा जो फूलों से लदा,
देखकर बेसुध चूर हुआ।
अदा मनसीरत भायी हमें,
कभी तुमसे ना अदूर रहा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)