हुनर आ गया
– शीर्षक- हुनर आ गया
बदलते हैं लोग यहाँ फ़िज़ाओं के जैसे,
हमें भी बदलने का हुनर आ गया।
जमाने के साथ चलने लगे हम भी ,
ज़माने के साथ ढलने का हुनर आ गया।।
ख़ुद की बातों पे न रहते हैं क़ायम,
पल-पल बातें बदलते हैं लोग।
अपनी फ़ितरत पर कैसे -कैसे,
आते-जाते पलटते हैं लोग।
हमें भी तमाम लोगों के जैसे,
बातों को बदलने का हुनर आ गया।।
जमाने के साथ चलने लगे हम भी ,
ज़माने के साथ ढलने का हुनर आ गया।
बातें करते हैं मुँह पर मीठी-मीठी,
करते हैं पीठ पीछे बुराई।
मिलेंगे हर कदम मौकापरस्त लोग,
मौकापरस्ती में समझते भलाई।
सीखे हम भी मौकापरस्ती का मतलब,
अब मौकापरस्ती का हुनर आ गया।
जमाने के साथ चलने लगे हम भी ,
ज़माने के साथ ढलने का हुनर आ गया।।